पिछले ह्ञे अंकों “(मौत का दूत” ओर “अपने दिश कम में आप पढ़ चुके हैं कि कैच्से मौत का दूत नामक भयानक अपदधी अच्चों को अपंग कब्कि व उन्हें, डडा- धमका कब मना च्योनी व अन्य अवध टन
कानूनी धंधा बज क और व्माथ ही उन्सके यीछे पड़े आाम-गहीम] दाम- बहीम का अपने मार्ग का
७00७॥0७0 69/<३8७86585092+-688+-0#82
लगता है, यही
ह तुम डम्मे अन्य जय कर के पु डनका गुप्त अड्डाहे केबिन में ले जाओ|ड्की क्री 4 परन्तु मार्ग वी देख | आॉच-पड़ताल कबनी है। नहीं ब्तका-बाम की
न नल कैब्से बता पाऊंगा| ही
| पद मालूम
यड़िगा कि मैं वि
व्य जे राम ब्से व्सम्यर्क स्थापित करने के लिये
3
श्र
लैट्रिन जाने का: नहाना किया ।
00॥0॥,69/88&86568500&28688+70799
लैट्रीन में पहुंच बहीम ने याबों तबक के आश्वक्त हो दुबवाजां बन्द किया, फिद कलाई स्से चड़ी
उताबकद उच्मका पिछला हिल््स्सा बवोल दिया। अब वह घड़ी रूपी एक शक्तिशाली ट्राव्ममीटब था|
बिवोर्ट 3 १ मैंबाम जाल बहा हूं | कहां हो तुम इस
ओर उच्चकि
चिन्ता न कब, मैंने व्सब प्रबंध कर् लिया है- हां, तुमने अप॑ने गढ़ने का पता थढ़ी बदनाम डलकि वाला ही बतायाहि ना-4
बांटो भाई, अब तो कुछ दिनों तक
् हढलि उसके
धत्रलया ओल नहीं लेन
॥ |किब्सी डमाब॒त के अंडर्ञउंड स्
लगानाहि-- ओर बनाबब मुर्डर छः बनाए ब्घ्वना
विषयमें अच्छी तरह जानव डिक 3 दी हाब्सिल कर ली, | /
औकिज्सी किस्मका| है
नसुनो[ रहीम 'व्सावधानी ब्से 52 ड््नकि
के बाद मेंपता
नेब्सम्बेध विच्छेद् कऋनाई में पहन व्ली|
अगलि दिन जे.के. वेश बद्लकब <हीम के विषयमभिं ह्ठ़जनीन करने उच्संके बलणथि ठिकाने पर य
कया आप मुझे कानिया के बबि में बता ककति हैं ,कहां गया वह १
ह0॥)0७॥,69/-३85&868650929+688+५0689
बनामन लो। न्स्क की उच्स
' बदनाम कब €ब्वाहि
गनिक्ताया हुआ पसेब्नाया हुआ था।
आनकाडीध्रोव्त करन | [में उसका दादा हूँ, ढ्वाव्ताल पहले | इसी तबह जे:के. आम-पाक के और भी लोगों व्ति - 9 | वह घर भाग गया था। बड़ी | |मिला, व्सभ्ी ने गहीम यानी कानिया के बारे भेंवही # अच्छा भाई में | | मुश्किल स्से ब्वोजबीन कब॒निके| व्सन कुछ अताया।
प्यलता हूं। तुम्हाडी बड़ी। गी_ ३ ॥ पश्चात् उन्सका यह पता मिला,
जी ही कब [#
अच्छी तर छानबीन करने के उच्सकि उच्स डनकि व्स जनि के यश्ष्चात् जे.के- मिलने वलि# पश्चात जे:के.ब्संलुष्ट द्वेकर वापब्स | लीग एक कमबि में पहुंचे, जहा बयाम पहले से डी मौजूद था। लौट पड़ा। जूऋ छः | जिानचऋऋछऋऋोऋऋण रे
! बिल्कुल नहीं बेटे, हमने ब्शाबाश! ली, अब अयनाः । उच्से अच्छी तबह वढीब्सम॥ |अपना ड्नाम न््सम्भाली। (५ लाया जा तुमने कहा था। ५ । ५ ह>
कि ध््
एि।0७00७0,69088&86द5500&9+-68+०00४2
बाल व्सीक्रेट ब्सर्विव्म के हेड क्वार्टब में पढुंच कर वाम नै ब्सादी बात-चीफ कट दी|ब्छुन नुव्खर्जी | जि कक्े बम, वाच्ततव में तुम्हादी ५ योजना और काबगुजादी ग्रश्नॉब्ल- नीयडे। मुझ विश्वाब्म है,अबभौत ॥0
हर द्क्षक, हमें किसी ब्तमय भी.षलिब्स ह् की आवश्ष्यकता यड़ ब्सछ |
0॥0॥,69/88&286585॥0028-/688.,7009
नहुत बढ़िया, लेकिन जया छिड़ ब्वावधान रहला। पुलिब्स का /;
पर। आम की ब्लूच्ति
कबना ड्ोगा।
सर ओब नाम वन्सनकुछ ब्तुन॒कन ठम्भीय
६ औ भी ही में पुलिब्स
॥ कीर््त के ब्लाथ आज
॥हराल वहीं मौजूद गहूंगा| है 303
<ज्छ्क | है]
: भड्डया, उन पद कं ढाथ मत डालबिठना,
32220: टन ४ अप
८ यात्रियों की स पद' ढ्ाथ ब्साफ कबने का
4 अड्डे के बंबि भें ४' | जानकाकी हो ब्सकीर / ॥ ५44
न आवश्यक बलि: कसम : दिया।
बाथन्सम में प्रविष्ट हो रहीम ने चड़ीनुम्ा' ट्रोब्समीटन पद पुन: बाम थे न्सम्पर्क वस्थायित किया और उच्से ब्सदि ढालानी ते क्षगगणत कबा दिया, फिन अंतर्भे ओजा--
७॥७)७0,७३७४-३७8७&865650029+688+0#09
्ट अनौज चित्रकथा कल व्सम्बनज्ध क्च्छिद कर शाम ने घड़ी को ड्धर एक च्सुप्रग्सिच्द् त्किया,फिद फोज पर चीफ व्से बातचीत | [डाटलमं-- -
करने ल्लगा।| न् मे ययाहता हे
0
| [// -->74 न ब्सलमा जे अभिनय तो ऋठले का किया था, जबकि त्मी-
| __कल मै यहाँ सीक्रेट येपन पाता मुँगा और बामगढ़ जाकन हैड- ]
क्वार्टर के 2 कर कूँ दूंगा; अज्यादा दिनठीक
ह0७)0७॥,69/-३85 8660-68 +५%0989
चिन्ला मल कबो प्रिय। झा बामगढद बसे लौटने के पश्चात् “सहज सील ह+ ५ तुम्हंदि पिलाजी ब्से बातें करके हजा च्याह: 53 लुम्हांबे धब पहुँचने की यह
ऊंह--कल-! बजिशशय, ऊन सुम्र शायद ही रामगद 4 पढ्ुंच याआी |
[ ब्ललमा जे जैब्से ही अपने फ्लैट के ज्ञीतड कदम ख््वा,वैन्से ढी एक लबफ <रब्वे फोनकी घँंढी बज उठी|
छी।७)]७0,७9४३8&386586500359+-688+00७9
_मनोज चित्रकथा
ब्सब कुछ सुनने के पब्चात् दृब्सरी ओदबब्स दिलावन जे प्रव्सन्जनला #बि ब्वन में कहा--
नव हुन कीमल पब् डी [2६ हे ज्ञाना याहिए, वबना....८ ् बह
फिब ब्सलमा बाजिश बसे हुई आज की बातचीत
का वर्णन कब्ने लगी। | ।
' इच्चद बदमान के अड्डे पर उच्सी बाल ठीक आठ बज] | बब्स आन्डरग्राउंड अड्डे पर गाड़ी-९ |. डन्स; >>>>नचखःचिक्िे --| अड्डे का भीतब-ढी- भीलन वैज्ञानिक सरीके ब्ति
लैयाब किया गयाहि। अफक्नीन्स, अभी तक पृरि, की देग्वनि का कराई मौका नहीं १८:
बढ़ बन्द गाड़ी उन्हें लेकर एक सबक दौड़ पड़ी। गाडी किन्स मार्ग ब्ते द्लेकर जा बढ़ी थी, यह बढीम म जान ब्सका,क्यींकि गाड़ी का पिछला हिच्छ्सा चानों ओब ब्से
७0॥0७॥,69/88&286ठ650098-688+70७9
बाम की नवाज में टहीम ड्धब-उधर भध्ाटक ही अहा था कि सभी एक लड़का आकर उच्सब्से
बीली मत.चुपचाय
भेंढे यीछे चले आओ।
।ं)
ढ्ववाई नहीं देता लक जे कह्ठो, एक हाथ में । आंब्खें ब्लोल दूँगा|
पहुँचा जी व्युन॒च्सान था| वहां चीफ ऊ्वर्जी भी
बड्ीम,बाम के पीछे चलता डुआ एक ठैेब्से -स्थान यन प् छद्मविव्श भें मोजूद थे।
मिलना है। अन्त भें वह ओला--
| आय यही है दीक कि अभी तक औ उनके और वहाँ तक
बढ्हीम जे न्सादी स्थिति ्वे उन्हें अवगत कबायाओआओर यह भी बताया कि ठीक उ्यारह बजे उन्हें कहो
ठीक है, तुम जाओ। यह ज्यादा देन बक्ठकजा लुम्हनि लिये उचित न डोगा--छूम
ए॥0७)७0,७9४३8&386566509329+-68+00७9
बिल्कुल, ठीक व्समज्त) है उनकी »ाड़ी का यीछा कबके चच हमें यहां जब्ूहूूऊ- छूम उनके अडड तक पहुंचा [ कब उच्प बस्थाज पक कब्ने गढीं |/ | व्सकते हैं| क्या प्रीआआम है) पहुंचना न््याहिये,नहां वहीम उ्वीक९ आदि को ठीक अ्याबहः हि ८ अजे एकंत्रिल होने के
| ह "अर >.. पीस्ककक ५ 3 हे 2 आओ] "० ०० ००.
ड्धर इडीम एक घण्टे लक जे ही ड्यन-उचद्चन
झुमझला बढ़ा और फिर उच्स व्स्थान यब यहुँच्य गया
जहां उन व्सभी जे मिलना था। इक शा ६ ह2 अज्ी तक की्डड
आया। न जनि म॒ज््ति
प्रवाली हाथ वाकब् थे क्या ञ्सिचिं| कीई नह्वान् झी कबना ही पंड़रेगा।
फिए कुछ देर बाद ढी एक-एक कर्बके चानिं अन्य लड़के भी वहां यद्/ेंच ठथयि। के
छउक पर हाथ «
किया, लेकिन बसा अवाली ही मिला|
७0७)७0,७३७७६६8&386585009+68+0#७89
5 ्् ऊँचाई लक छाथ कैब्से ते
व्यढ़कब बिविड़की लक पहुंच जाऊंडगा। ब्लाकी दो
तर ॥!
दार न ल्ास्तन
भें तुग्हानेर दिमाग की प्र दाद् देनी प्ड़िजी। (( ग्रन बा ५८
छुए फिर देर मत | कनरो, चत्नो ड्युन्र जाओ्मो!
फिर बन्छ , वधू व मुन्ना चुवचाय ब्विड़की | ब्खिड़की |
के मीचे पहुंच ठाथे भओद् एवं जानी
* ताब्सयान्स, वल्लन्य नरवबण्जव्ते के चआीक्कले बा छा
दुछ ग्रीन ।'
6 | / जय]
बज जज्जज्जीन यढ़ने में द्वतलजी नल्लीन थीं कि उच्से गले क्ते हान
कमाना न्न्् न् दूनसब्र ही कण -2स्सकि हाथ निजली को गोते बसे हरकत मे आये। |
' खधखि# फ ७७% णछणछ छन
काम बन ठायाई च्यली अब क्ाग
निकलते का तुरन्त ही आशभाव्स नहीं हो - जज
मनोज चित्रकथ्ा
पबन्लु अभी वे दौड़ते डुए कुछ डी दूर यहुचे थे क्िब्सी लगह थे व्सकुशाल <्स्टेशन नस नाढण जिकलनि में कि उन्हें वीछे स्से व्स्त्री की चीवरव ब्सुनार्डू दी | ब्वकल हो ही ठये| शशायद् उच्ति ढार के -चोरी हो जनि का यतला -चल च् ् कि
2 _ /चआक-धोढर--ओव्र! यकड़ो--.]
लेज दौड़ा,और च्टेड्ञान से नाहर निकन च्यजी। यदि घेर लिये [गये लो कचूमबानिकालू,
पंदेया जाझ्ेजा
किंब् ओे उन्त वस्थान पब यहुंचे जहाँ आड़ी से अल्हें छोडा ठायया था| वेलीगली आ यहुँचे हैं , लेकिन डढ्ीम के कथनान॒न्र्सार। १ गाड़ी उन्हें लेने नहीं पढ़ुंची।
ला लुम नये हो जा,डग्तललिए सै
सुम्हें नहीं मालुम| आमलीोर ब्से ढम लोग वहीं एकत्रित डेते हैँ, याजी छुम जैब्से ब्सक्षी व्सद्व्स्य |
00॥0७॥],69/-885 &8686500928+688+५0989
'यमके बेटे हर वहीं व्स हमें माल अब्स के | नॉव्स के [यह 5 नया शहब्स्य जाजकब ऋहीम डवाले करने ओर बिदयोर्ट देने के [मनन ढी-मज आछशएचर्यचकिलत | लिए मुब़्व्य अड्डे ले जाया जालाडिे। का | हाल भी हम वढौ गयि थे; लेकिन लुंम्ह्वा- हा आर जो हे व्छारण हमें शक जिया ठाया, वरना
्य् उच्स्बु दे
केबिक्ेंली |
दिया आता और डा ये हम धन. कि देंड कहाँ पानी कक. निकलते आन वहीं वायब्स लौट है| उच्सके ज्िबाब्स- नल के डा लि ब्स्थाज के बबि भें
भी छोकके न्पद्त्ध्य को
कड् यता|
उच्त अडेड का के कुछ री ज
<०२०५। ०€]। &*२ न्स्ज भ्रूलकर भी न्यची मल ० बनना वह दिन लुज़्डादी रा धभाब्वेव्ती दिन ढोगा।
कस बम औब -चीक मुख्नर्जी | शडीओ त्रेभी दृष्टि अनिवाली गाड़ी पा
नहुल बढ़िया वह दिर्वे, शायद् | ता चचा; काकी तगड़ा गाड़ी हमें लेने आ आज: !
; 0॥0]0॥,69/88%8685/॥02+68+08
लाश ब्सबके व्सवाव छल के वज््चात जब आाड़ी कुछ अ् हक 00 पी अ लें नबढ़-ठायी तो चीफ अल अयनी कार च्टार्ट । का ८2222: उब्सके यीछे दौड़ा ढी। ८
मी कक अपनी कार की
केल बन्द 9 च्यालक क्री घीछा किये जनि न पता च्यल ठाया|
अब अगली गाड़ी के च्यालक के
पीछा न दूटते देवा तो उब्सने ट्रोव्स- मल करे; उन्हें: डॉज देते डु॒
मीटब् यर अपने अडुैडे बसे व्सम्पर्क बसुभाव मार्ग और ल्िन्स
ब्स्थायिल किया| रोड वर अनियीं में घुमति
रहो | ठीक दब्स मिनट में मदद् यहंच जायेगी।
22७ दिलावर को बसाकी स्थिति ब्से ऊबगत कराया|। _.| ॥
७0७)७0,७७४६६७8&86585003&9+68+0#089
यमके बेटे
यीछा जानी रहा। गाड़ी का चालक ठीक दब्स मिजट नबाद् जब व्स्टशन बैगनका च्यालक चीफ
बुआषब मार्ग और नर्दिव्स छोड की गलियों में कुडवर्जी वव्शम की यकमा देकन् एक ठाली ब्सै निकलकन
ड्थ्न-उच्यर अवनी गाड़ी धुमाता रह्ा। मुब़्न्य ब्सड़क यब आया लो उब्से अयने आगे रुक मालवाहक ट्रक धीमी गति शसे दौड़ता
का आ यहुंची है 2 डे
कि उद्मर्मे व्से एक मोटी व फेोत्यादी चद्दब बाहर निकली और व्सड़क कक छूने लगी।
द्स ही क्षठा उन्सकी गाड़ी उस्स विश्ञाल मान वाहक द्रक के भीलर थी।
न | गाड़ी के भीलन यडुंचले ही
नल ब्सच्व्की3 फिर बार
छ अन्द डो गया।
७४/॥७४)७४७,७३७४६३७8&86585002+68+009
- जन न्यीफ मुब्रवर्जी की गाड़ी पीछा कबती उच्स व्सड़क यब यहुंची तो ज्मिनाए उब्स रा (विन््शाल् बुक क उन्हें और कोई गाड़ी नहां नहीं
ड्धन कुछ बसमय पश्चात मौत के दूत के मुन्न्य अड्डे यब--
6६5 कम़्बन्त््तु (६ करन 2 ( आटने के वि
लब चव्पटेशज वैगन के रालक ढाब्वाल ने
.- जेंकिन पुलिब्सग्का ञ्ः > बह यीछा कब्ने वाली बाल कड ब्युनार्ई। ्र ज्ञागों की भगक कैश्ने। ६६ 5. बह तो गनीमत थी नस कि लग गयी ९ दी व व
.
“सही व्समय पब मदद यहुंच गयी, बनना व्शायद् आज मेँ छोकबों व्समित युनिव्स के चुँड़न में झंंब्स गया हढोला|
0७॥0७॥,69/-885 &86850928+688+%0089
बवैड छोड़ो, जाओ औन व
मौज मच्ती ली।तुम लोगों के मैं | बढ्ुत ब्खुश हूं। आज का दिन हमरि- / लिए बुत शुभ ग्डा, यदि् क्षाउ्य मी माथ-द्या लो कल फकोजी.न्सीक्रेट
0॥0॥,69/38&86565॥0&28/688.,009
मनोज चित्रकथा
जुल कल आदूसलमा को कूल के स्करटेक्सी | | जब टैक्सी यालक मे न्लज्क के जीयों-आच एक लड़की का अबड़ि ही खाई ढी। द्ज्छ भर टेक््सी को ओऔकने का #“प्ंकेत कबते ढ्ब्वा--.[:
७0॥0॥,69/38&2865650098/688+70७9
7 कि किल्लढ्ााल बटकान: मद जहा, प्
। ! करने के लिये: 777 > रामगढ़ पहुंचाने जा अंडे दो)
९! न
न्समझा| तुम दुतमन “से मिली डुई हो #. प््य पुज़रान्य 3 ड्डी
हो जायेगा। ब्ब्दि डो. ओऔरब उन वगुव्तब्गजों की प्राप्त करने के निए ही तुम भेने ब्लाथ
ध्रेम का माटक कब ब्ग्ही थीं।
ए0७॥७७,७०७८३8७38686॥00928-68+0७9
9/
न्समझी नी ठीक,लेकिन बहुत ढेर स्से न्समझे- भेंढे पिता बसे मिल चाहते थे ना? ती जाओ; वैनन््स्नगी या
नर्क औं कडींभी 9ुम्हारा ड्ंलजाब० होंगे
करन अलाई मे हैकि
जान चायेगा कि डाजैब्श के
ब्साथ है की केन्े घटी
ओर
ड्राइवर ने घ्ननाकन लुबज्त आड़ी ओक दी|| |अपनी जान बय॑ती देरव व्सलमा उतनरकन भयानक वन में' । जे प्रद्वी गतिश्से गाड़ी 4 ड्राइवर वे ओोजी-- [ज् ] ॥] (व शैड़ा न |. शाताए
इसी में है ' रा व १
ठाये। हक ॥ हब हा
के
|
डी तेज क्यों न भागो|औत हे गति लुम्हानी गाड़ी न्से ज्यादा लेज ब्सानित हीोर्ग
+ (5
0
000॥,69/३8&8655/0&98/688.,70७9
कब्जा किया। |
कक टाईम बम नै बाकी का
क्राम यूढ्ी ईमानद्वकी अ्ते
वॉक _ . -यढाँ ऋकजनि में ब्नलबा है। कीर्ड
| अन तुम लीग आओब 2 उमजम >ज काम
कऋगो-भैं मित्र हेछ की ड्ब्स 9. व्सफलता की व्पूच्चना
लकद़ीनर बढल ढेंडे|कबोड़ों: अवये व्राव्ल ढोंगे हमें भित्र कै देखा स्से| ढा- छा- ढा-!
रहीम एक आड़ में छुपा व्सबकुछ ढेगव और ब्युन बढ़ा था|
है? जो डमबि ढेया के
ब्सीक्रेट पेयन आब्विगकार
वा 2
| (नबके जाने के बाद मीत का ढुत भी उत्स | कमने बलैनिकला औन एक अन्य | |कमबि में वढुंच ठाया| बढ यन्त्रों का जाल-य्सा निछा हुआ था| वह एक वशाक्सिग्शाली ट्रान्ममीटन् वन किब्सी दिए | (से व्सम्यर्क वस्थापित कबने लगा।| | हे प्र चर टेलो--हेला-भोतका ढूत व्स्वीकिंग, वांटिंगा काममनिड चुंग-चूं
8 ]
ड्धन मेजर बाजेश की मौत ओब महत्वयूएी काग- जातों के अल लि यूनि देछा आर न्सरत्कादी
अशीजदी मच उठाया!
अैना के उच्चाधिकादियों जे लुब्बन्त एक विश्शेब मीटिंग ब्ुलाई--
है कुछ 0 ये जज
आता। यदि ऋजैेब्श की मौत | दुर्घटना में किब्सी
वास्तव मैं दुर्घटना में डी हुई जड्यंत्र की बू आ डे लो वे कागजात कही ब्डी ढै। ((॥|
0000 ,69/88&86685॥00928-/688+7009
000॥,69/३8&28658500&28/688+70#७9
सन
यह लीजिए, मैंने | डम भी अचना वायदा निश्मायेंठी; लेकिनों ( जप वायदा पूबह्या किया| अडुतच्खूल ड्ब्सकी कीमत अदा कबने से यहले में / है आयद्से अकिले में कुछ विज्लेब एव _ गुप्त नतें कबना चाहता हूं।
ढां- अन कहिये
:+ हू लेकन क्र में < मि० फू्चिंग! आय क्या
में जाओ ओर जखउ
+ | भेकिन कूचिंग जे कुछ कहने के बजये फुर्लीब्सि | जेब व्से बिवाल्व॒र निकाल कब उत्स यर तान दिआ।| तनबनदान् मि*मौत के दूत, >प्रयने वस्थान «से ढिलने की चेद मल करना, वबना पूछी हठः वीलियां तुम्डनिव्सीने मेँ. .4 ७ उलद जरयेंगी।
00॥0७॥,69/88&2868509-/688+009
मनोज चित्रकद्या
अब फूर्चिंग के बस्थान यब राम छबड़ा था।
द्वा-हा-ह्ा- अमन अवने ढी ज्नान ऊँ फंन्स गये मौत के दूत मैंने तो अयना म्रेकल्मय हटा
जा
कि ड्ब्स मकान के यीह्ठे किन्स
*“लाकि में और व्सानी दुनिया की सके हिल के र व सेडना छुया ढुआ डि। 2)
हु “8 कह नहीं-ऐिव्ता कभी नढीं
7 होगा। (
शत बस श पक
४१22
ओऔब ड्सव्ते पहले कि आम उच्सकी मंशा भागा] डिच्छछ मौत के दूल के ब्साथी जब्सि पाता; मील के ढूल जे उब्स पर छर्नांग नगा ढी।| &ी अखनलानि
बकीईड भी अयनि
कमरे में यहंचे-- |
बअंबबरदार -
ग्रीक मुद़्वर्जी और पुलिन्स फोर्स कचिंग उर्क राम कार ढोटन श्री व्स्टार व्से &ी यीह्ठा कडलेड्डुए बढ़ी तक यहुंचे थे,जिब्सका द्वलावर वी यला ढी नहीं -चंव्ना
था। यह राम कीडी योजना थी। पु करता
उद्यन- बाम यर चोट कर बॉव्स एक तबक मौजूद गुप्त &ज की ओब दौड़ा।
बरूक जाओ-- जी लुम्डांगे भागने केठ तमाम 35600: डझाब्स्ले बन्द डें> छुलिव्स ५ । कै नेलुम्डगि पूंनि अडडे के?
घेर रब्वा डिं।
५ &ट
[8
क्र
उ0
एी0७0)७0,69/-३8838686॥0098-688+70७9
ज्यम के बेटे जिकिन जेने-डी मौत के ढूतजे गुव्त बटन दइबाकद ] चित्मा माबने वाना गुप्त मार्ग के दृ्सबी ओन ब्वड़ा ग्हीम था, गुप्त दा नंबोला; एक जनगदक्सल धूंव्सा उब्सके जो वहाँ के तमाम मार्गों की अने तक जानचुका था।
चैहने पर यड़ा| [ । ] | ह ७. दा
गहीम | थो माया) कटी जाओओे। अब लुम्हकि व्सगि उ . भेद्रे देवबे-भानि हैं->डन मार्गी' / की जानने के लिये ऊुब्ते कल 47
दातअगब् जागना पड़ाथा। ३
न मील के दुल के 23८ 2 के बावजूद भी बढीम ने उद्सकी मकान उलेट ढी; ननकाब उन्नटने के से श जी -चेढन्गा उनके ब्सामने आया: उन्से देग्वकर् ओे
डे ७000 ,69/३8&28655009-/688+,70#99 हू हब
छू आड्ये- आडये चीफ | बडा आयका सुजबि्मि,अचन्
ही ढेशा कि 2 फू 3
जन पुनिव्स व्सक्षी दोनों अड्डों ब्सेलमाम कैदी नड़कों व्की आजाद कब दिया -चव्ली- गंया। उन लड़कों के अनावा करोड़ों रुपये का ससाच्मान्
'मी मुरग्य अड्छे से आप्त डुआथा।|बाम-ग्हीम के
ड्रब्स मठान काबनामे- किक अबबनाओं द्वारा
;> जा 3) " ्् ऑर्डर,
0७० 20) " ॥ | जन आम जनता “क्र सेठ करोड़ी अल की असालमियत्र ज्ब्हेः डा | का अरबनारो ह्वारा यता चला ते समी ने दांतों $ डवललक क्र. || | तले >गली' दल्ला ली; जनकि सलमा जे यकड़े
९ ॥0 कक तह | जाने के भय से आत्महत्या करलीथी। 4 गेयल ऑफपैट वर्वल, दूरभाष :.72428 52- ब्छफु वाया ए0७॥]0७0,689४8&86द5070&9+-68+07७89